जैव प्रौद्योगिकी विभाग

विभाग के बारे में

जैव प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना विश्वविद्यालय के संस्थापक विभागों में से एक के रूप में वर्ष 2016 में हुई थी और डॉ. सौरभ सिंह राठौर को पहले टीचर-इन-चार्ज के रूप में नियुक्त किया गया था। प्रो. आनंद प्रकाश ने अगस्त 2017 में विभागाध्यक्ष का कार्यभार संभाला। यह नवस्थापित विभाग जैव प्रौद्योगिकी में बी.एससी. (ऑनर्स) पाठ्यक्रम प्रदान करता है जिसकी प्रवेश क्षमता 30 छात्रों की है। विभाग की अकादमिक और अनुसंधान गुणवत्ता को सुदृढ़ करने हेतु सत्र 2019-20 से एम.एससी., एम.फिल. और पीएच.डी. कार्यक्रम आरंभ किए गए हैं।

विभाग एक मिश्रित शिक्षण दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करता है जिसमें अनुभवात्मक अधिगम को प्राथमिकता दी जाती है। शिक्षण पद्धतियाँ पदानुक्रमिक शिक्षण और अधिगम विधियों पर आधारित हैं। विभाग अतिथि व्याख्यान, संगोष्ठियों, इंटरएक्टिव सत्रों का आयोजन करता है जिससे स्नातक स्तर पर भी छात्रों को विविध अनुभव मिल सके।

विभाग अब मूल और अनुप्रयुक्त अनुसंधान के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं के अनुसार प्रदर्शन करने में सक्षम कुशल जनशक्ति के निर्माण में योगदान देने का लक्ष्य रखता है।

प्रस्तावित कार्यक्रम: बी.एससी. (जैव प्रौद्योगिकी), एम.एससी. (जैव प्रौद्योगिकी), एम.फिल. (जैव प्रौद्योगिकी) और पीएच.डी. (जैव प्रौद्योगिकी)।

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अद्यतन दिनांक: 25 जुलाई 2023, 10:30 AM
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